शिक्षक दिवस की कहानी गुरुजी का पाठ | Bacchon Ki Hindi Kahani

शिक्षक दिवस की कहानी गुरुजी का पाठ: गाँव के स्कूल में शिक्षक दिवस की तैयारियाँ जोरों पर थीं। हर साल की तरह, इस बार भी बच्चे और शिक्षक मिलकर समारोह की तैयारी कर रहे थे।

बच्चों में विशेष उत्साह था क्योंकि वे अपने प्यारे गुरुजी, श्री शर्मा जी, को सम्मानित करना चाहते थे। शर्मा जी गाँव के सबसे वरिष्ठ और आदरणीय शिक्षक थे। उनके पढ़ाए हुए कई विद्यार्थी बड़े-बड़े शहरों में नौकरी कर रहे थे, पर गाँव के बच्चों के लिए वे हमेशा ‘गुरुजी’ ही थे।

आज की कहानी: शिक्षक दिवस की कहानी | गुरुजी का पाठ | Bacchon Ki Hindi Kahani

शिक्षक दिवस के दिन सभी बच्चे और उनके माता-पिता स्कूल में इकट्ठे हुए। मंच सजा हुआ था, और बच्चों ने कार्यक्रम की शुरुआत की। नृत्य, कविता, और नाटक के बाद मुख्य अतिथि के रूप में गुरुजी को सम्मानित करने का समय आया।

मंच पर आते ही गुरुजी ने माइक संभाला और बोले, “मेरे प्यारे बच्चों, आज मैं एक कहानी सुनाना चाहता हूँ। यह कहानी उस दौर की है जब मैं खुद एक छात्र था।”

बच्चों ने ध्यान से सुनना शुरू किया।

गुरुजी ने बताया, “जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तब हमारे गाँव में कोई स्कूल नहीं था। पढ़ाई के लिए मुझे रोज़ 5 किलोमीटर दूर दूसरे गाँव जाना पड़ता था। मेरे माता-पिता गरीब थे, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। गाँव के हालात कठिन थे, और कई बार मैं सोचता था कि यह सब छोड़ दूँ। लेकिन मेरे गुरुजी ने मुझे कभी हार मानने नहीं दी।”

गुरुजी की आँखें भावुक हो गईं। “मेरे गुरुजी ने मुझसे एक दिन कहा, ‘शर्मा, शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं है, यह वह दीपक है जो जीवन के हर अंधकार को दूर करता है। अगर तुम इसे अपना साथी बनाओगे, तो यह तुम्हें कभी निराश नहीं करेगा।’ उनके इस वाक्य ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैंने ठान लिया कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, मैं पढ़ाई नहीं छोड़ूँगा।”

गुरुजी ने आगे बताया, “उन दिनों हमारे पास कागज-किताबें भी कम होती थीं। गुरुजी हमें पेड़ की छांव में बैठाकर मिट्टी पर लिखना सिखाते थे। हम घंटों अभ्यास करते थे। कभी-कभी भूखे पेट, पर गुरुजी का उत्साह देखते ही बनता था। उन्होंने मुझे सिखाया कि मेहनत और लगन से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती।”

बच्चे और अभिभावक सभी इस शिक्षक दिवस की कहानी गुरुजी का पाठ को सुनकर भावुक हो गए थे।

गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “आज मैं जो कुछ भी हूँ, अपने गुरुजी की मेहनत और उनके दिए संस्कारों की वजह से हूँ। एक अच्छा शिक्षक सिर्फ पढ़ाई नहीं सिखाता, बल्कि आपको जीवन जीने की कला सिखाता है। वह आपको गिरने से बचाता है, और अगर गिर भी जाओ, तो फिर से उठना सिखाता है।”

गुरुजी ने अंत में कहा, “शिक्षक दिवस सिर्फ हम शिक्षकों का सम्मान नहीं है, यह उन सभी शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है, जिन्होंने हमें जीवन के हर पड़ाव पर सही राह दिखाई।”

सभी बच्चों और अभिभावकों ने तालियाँ बजाईं। बच्चे अब गुरुजी को नए नजरिए से देख रहे थे। वे समझ गए थे कि शिक्षक का महत्व सिर्फ क्लासरूम तक सीमित नहीं होता। शिक्षक वह शख्स होता है जो आपके सपनों को साकार करने की दिशा में आपका मार्गदर्शन करता है।

शिक्षक दिवस की वह सभा एक प्रेरणा बनकर बच्चों के दिलों में बसी रही। हर बच्चे ने उस दिन गुरुजी से एक वादा किया कि वे भी अपने जीवन में गुरुजी के बताए मार्ग पर चलेंगे और अपने शिक्षकों का सम्मान करेंगे।

गुरुजी की यह सीख आज भी बच्चों के दिलों में जलती दीपक की तरह रोशनी फैला रही थी—शिक्षा वह मार्ग है जो हर मुश्किल को पार करने में मदद करता है।

शिक्षक दिवस की कहानी ‘गुरुजी का पाठ’ कहानी की मूल सीख:
एक अच्छा शिक्षक न केवल ज्ञान देता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने का हौसला भी सिखाता है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयास और दिल से किया गया काम किसी भी दिन को खास बना सकता है।

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शिक्षक दिवस पर बच्चों से जुड़े सवाल और उनके जवाब:

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म शिक्षक दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?

उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। डॉ. राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। उनका मानना था कि शिक्षकों को समाज में एक विशेष स्थान मिलना चाहिए और शिक्षक दिवस इसी विचार को जीवित रखता है।

5 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

शिक्षक दिवस “ teachers day “ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था.

शिक्षक दिवस पर शिक्षक को क्या बोलना चाहिए?

“आपके बिना हमारी शिक्षा की यात्रा अधूरी होती। आप हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शिक्षक हैं। शिक्षक दिवस पर, हम आपको दिल से धन्यवाद और शुभकामनाएँ भेजते हैं।

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